मंगलम् मंगलम् व्रज भुवि मंगलम्

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मंगलम् मंगलम् व्रज भुवि मंगलम् ||

मंगलमिह श्रीनंदयशोदा
नाम स्वकीर्तनमे तदरूचिरोत्संग
सुलालित पालित रूपम् || १ ||


श्री श्रीकृष्ण एटी श्रुति सारं
नाम स्वार्तजनाशयतापापहमिति मंगलरावम् |
व्रजसुन्दरी वयस्य सुरभीवृंद मृगीगण
निरूपमभावा:मंगल सिंधु चयायम् || २ ||

मंगलमीषत्सिमतयुतमीक्षण
भाषणमुन्नतनासापुटगत मुक्ताफलचलनम् |
कोमलचलदंगुलिदल संगत वेणुनिनाद
विमोहित वृंदावन भुवि जाता || ३ ||

मंगलमखिलं गोपीशितुरति मंथरगति
विभ्रममोहितरासस्थितगानम् |
त्वं जय सततं गोवरधनधर
पालय निजदासां || ४ ||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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