
सुनो श्याम सुंदर बिनती हमारी।
दर्शन को आया दरश का भिखारी ॥
तेज भँवर मे फँस गई नैया
तू ही बता अब कौन खिवैया।
कृष्ण कन्हैया गिरवरधारी
हे नटनागर कुंजबिहारी॥1||
हे नाथ आकर अब तो संभालो
डूबती नैया मेरी पार लगा दो।
तेरी शरण में आया नटवर
तुझे लाज रखनी होगी हमारी॥2||
तुझ बिन कोई न मेरा जहाँ में
जाऊँ कहाँ तू ही बता दे।
मेरी लाज जावे तो जावे भले ही
मगर नाथ होगी हँसी तुम्हारी॥ 3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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