
हरी दर्शन की प्यासी
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी
देखियो चाहत कमल नैन को
निसदिन रहेत उदासी
आये उधो फिरी गए आँगन..
दारी गए गर फँसी. ||1||
केसर तिलक मोतियाँ की माला..
ब्रिन्दावन को वासी ||2||
कहो के मंकी कोवु न जाने..
लोगन के मन हासी ||3||
सूरदास प्रभु तुम्हारे दरस बिन..
लेहो करवट कासी ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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