
सुध बुध भुलाय दीनी श्याम तूने बंसी बजाय के
ब्रज सो ना दूजा कोई धाम चाहे देखो तुम जाय के.
टेढ़े कन्हैया की बातें भी टेढ़ी
रोक नहीं पाती यशोदा की बेड़ी
माखन चुराय गयो श्याम, गोपिन घर जाय के ||1||
गोकुल की गैयन सब श्याम के सहारे
दूध देत बछड़न संग श्याम को निहारे
भोग लगाय गयो श्याम, थन से मुँह को लगाय के ||2||
पूतना बकासुर और कालिया को तारयो
कंस जैसे पापियों को निज कर संघारयो
साग खायो रुच रुच के श्याम, विदुर घर जाय के ||3||
द्रुपद सुता की लाज तू ने बचाई
मेरी भी लाज तेरे हाथ में कन्हाई
भक्ति को माँगा वरदान, हम गुण तेरे गाय के ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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