कान्हा काहे को तू मुस्काए रे

कान्हा काहे को तू मुस्काए रे



कान्हा काहे को तू मुस्काए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे

रानी हजारों तेरी रुक्मण पटरानी
तेरे सिवा ना किसी की राधारानी
कहे मोहन कोई ढूंढ़ के लाए रे ||1||


तेरे महल कान्हा नित ही दिवाली
राधा की तुम बिन पूनम भी काली
रो रो नैनों की जोत गंवाए रे ||2||

लाखों को पार कान्हा तूने उतारा
बस जीते जी तूने राधा को मारा
फिर क्यों पालनहार कहाए रे||3||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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