प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा

प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा




प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा
अपना मान भले  टल जाए पर भक्त का मान न टलते देखा |

जिनके चरण कमल कमला से करतल सेना निकलते देखा
उसको गोकुल की गलियों में कंटक पथ पर चलते देखा ||1||

जिनकी केवल कृपा दृष्टी से सकल विश्व को पलते देखा
उसको गोकुल के माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा ||2||

जिनका ध्यान बिरंची शम्भू सनकादिक न सँभालते देखा
उसको बाल सखा मंडल में लेकर गेंद उछालते देखा ||3||

जिनकी वक्र भृकुटी के भय से सागर सप्त उबलते देखा
उसको माँ यशोदा के भय से अश्रु बिंदु दृग ढलते देखा ||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''
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