मैं देखू जिस ओर सखी री,  सामने मेरे सावरियां

मैं देखू जिस ओर सखी री, सामने मेरे सावरियां







मैं देखू जिस ओर सखी री,
 सामने मेरे सावरियां 

प्रेम ने जोगन मुझ को बनाया
तन को फूँका, मन को जलाया
प्रेम के दुख में डूब गया दिल
जैसे जल में गागरिया ||1||

रो रो कर हर दुख सहना हैं
दुख सह सह कर चूप रहना हैं
कैसे बताऊ, कैसे बिछड़ी
पिय के मुख से बांसुरिया ||2||

दुनियाँ कहती मुझ को दीवानी
कोई ना समझे प्रेम की बानी
साजन साजन रटते रटते,
अब तो हो गयी बावरिया ||3||



''जय श्री राधे कृष्णा ''
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