मन के तार तुझी से बाँधे

मन के तार तुझी से बाँधे



मन के तार तुझी से बाँधे
जीवन के अंतिम पल तक
 हम अलग न होंगे, राधे!

साज भिन्न हो समय-समय का
राग न छूट सका नव वय का
सुर अब भी है वही हृदय का
लाख जोग-जप साधे ||1||


वेणु बजाता वंशीवट पर
फिरता हूँ नित यमुना-तट पर
तुझे देखता हूँ पनघट पर
नयन खोलकर आधे ||2||

फिर-फिर वृन्दावन में आके
रँग देता हूँ तिरछे-बाँके
प्रिये हमारी प्रेम-कथा के
पृष्ठ रहे जो सादे ||3||

''जय श्री राधे कृष्णा ''
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