सावरिया रे मन बसिया रे , तेरी मुरली धुन सुन बहक गयी

सावरिया रे मन बसिया रे , तेरी मुरली धुन सुन बहक गयी




सावरिया रे मन बसिया रे , तेरी मुरली धुन सुन बहक गयी
गिरधारी रे बनवारी रे , तेरी मुरली धुन सुन बहक गयी ।।

तेरा मोर मुकुट मोतियन से मढा
कानों मे कुंडल रतन जडे ।
सावरिया रे मन बसिया रे , तेरी मुरली धुन सुन बहक गयी||1||

तेरे मुख पे बांसुरिया साज रही
अंखियन की छटा निहार रही ।
सांवरिया रे मन बसिया रे, तेरे शयामल गात पे लरज उठी ||2||

तेरी कमर लकुटिया सुहाय रही
पैरों मे पैजनिया छनक उठी ।
सावरिया रे मन बसिया रे, तेरी बाकी अदा पर मिट ही गयी ||3||

तेरा नटखट पन मोहे भावे नही
मोहे अलबल तेरा सुहावे नही ।
सावरिया रे मन बसिया रे, ना जानै कयो मे भटक गयी ||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''
~~

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: