बैठ नज़दीक तू साँवरे के तार से तार जुड़ने लगेगा ,
published on 11 September
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बैठ नज़दीक तू साँवरे के तार से तार जुड़ने लगेगा ,
देख नजरों से नजरें मिला के तुमसे बातें वो करने लगेगा |
ये है भूखा तेरी भावना का ,ये है प्यासा तेरे प्रेम रस का |
नंगे पैरों ही ये दौड़ा आता ,प्रेमियों का इसे ऐसा चस्का |
प्रेम जितना तू इससे बढ़ाये ,उतना तेरी तरफ ये बढ़ेगा ||१||
पास में बैठ करके प्रभु को ,अपने दिल की हक़ीक़त सुनाओ |
एक टक तुम छवि को निहारो ,कोई प्यारी सी धुन गुनगुनाओ |
भाव जागेगे तेरे ह्रदय में ,प्रेम तेरा उमड़ने लगेगा ||२||
होगी आंखों ही आँखों में बातें ,खूब समझोगे इसके इशारे |
देगा निर्देश तुमको कन्हैया, बनते आओगे तुम इसके प्यारे |
इसके कहने में जब तुम चलोगे ,नाम दुनिया में तेरा चलेगा ||3||
श्याम से प्यार जिसने किया है, स्वाद जीवन का उसने लिया है |
जिसने नजदीकियाँ है बढ़ायी ,उसने मस्ती का प्याला पिया है |
बिंदु ओंठों पे रख कर के देखो ,सारा जीवन महकने लगेगा ||४||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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