लगन लागी कान्हा तेरे चरणों से।

लगन लागी कान्हा तेरे चरणों से।



लगन लागी कान्हा तेरे चरणों से

 जो मैं होती मोर का पंखा,
तो सजके रहती कान्हा तेरे मुकुट में ||1||

जो मैं होती काली कमरिया ,
लिपटी रहती कान्हा तोरे अंगो से।|2||

 जो मैं होती कान्हा बांसुरिया,
तो लगी रहती कान्हा तेरे अधरों से ||3||


जो मैं होती कान्हा ब्रिज की छोरी ,
तो संग रहती कान्हा तेरी सखियों के||4||

 जो मैं होती कान्हा ब्रज की माटी।।
लिपटी रहती कान्हा तेरे चरणों से ||5||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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