लगन लागी कान्हा तेरे चरणों से।
published on 12 September
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लगन लागी कान्हा तेरे चरणों से
जो मैं होती मोर का पंखा,
तो सजके रहती कान्हा तेरे मुकुट में ||1||
जो मैं होती काली कमरिया ,
लिपटी रहती कान्हा तोरे अंगो से।|2||
जो मैं होती कान्हा बांसुरिया,
तो लगी रहती कान्हा तेरे अधरों से ||3||
जो मैं होती कान्हा ब्रिज की छोरी ,
तो संग रहती कान्हा तेरी सखियों के||4||
जो मैं होती कान्हा ब्रज की माटी।।
लिपटी रहती कान्हा तेरे चरणों से ||5||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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