यमुना-तीरे आते-जाते छवि हरेक दिखायी
published on 12 September
leave a reply
यमुना-तीरे आते-जाते
छवि हरेक दिखायी
तू ने ऐसी रीत निभायी
माखन से लेकर चित्त चोरी
तुम ने कर दिखायी
कब किसकी मानी है तू ने
की है ऐसी ठिठायी ||1||
ऋतु जैसा बदले तू हरक्षण
सांच छवि न दिखायी
अब तो मनो निशदिन यूँ ही
सारी उमर गंवायी||2||
जितनी डूबी रस में पायी
उतनी गहरी खायी
सब कहते, “मुझ पर तेरी
जादूगरी छायी”,||3||
'जय श्री राधे कृष्णा ''
—
0 Comments: