
मोहन मोहिनी मूरत मुझे,
दिखाकर मुझसे दूर ना जा
मनोहारिणी मुरली मधुर ,
सुनाकर मुझसे दूर ना जा
तड़पता मुझको यूँ ना छोड़
मुखडा मुझसे यूँ ना मोड़
नाता मुझसे यूँ ना तोड़
हाथ रही तेरे आगे जोड़
मनभावन मधुकर मन मेरा ,
चुरा कर मुझसे दूर ना जा ||1||
मन में मुझे बसा लो तुम
जग से मुझे छुडा लो तुम
अपने गले नहीं तो नाथ
अपनी शरण लगा लो तुम
मनमोहन मतवाली मुझे,
बना कर मुझसे दूर ना जा ||2||
जनम जनम की दासी हूँ,
प्रेम -सुधा की प्यासी हूँ
मीरा-सी तो मान ले मोहन
बेशक ना राधा-सी हूँ
माधव मेरी मंजिल मुझे ,
दिखाकर मुझसे दूर ना जा ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
~~
0 Comments: