
जो चढ़ ही चुका हरि चरणों पे,
उसे हानि लाभ की क्या चिन्ता
जब मर मिटा शमा पे परवाना
उसे जीवन मरण की क्या चिन्ता |
जो चल दरबार पे आया हैं
उसे अपनी अकाल से क्या मतलब
सिर रख के उठाया नही जाता
उसे सिर और धड की क्या चिन्ता ||1||
मत प्रेम खिलौना जानो तुम
जरा प्रेम तत्व पहचानो तुम
जब तन में भसम रमा ही ली
तो बनने बनाने की क्या चिन्ता ||2||
यह मार्ग प्रेम का दीवानों
मत खेल करो तुम नादानों
जब इश्क लगाया प्रियतम से
फिर कहने कहाने की क्या चिन्ता ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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