ऐसी मस्ती कहाँ मिलेगी ,श्याम नाम रस पी ले |

ऐसी मस्ती कहाँ मिलेगी ,श्याम नाम रस पी ले |



ऐसी मस्ती कहाँ मिलेगी ,श्याम नाम रस पी ले |
तू मस्ती में जी ले ,रे बन्दे तू मस्ती में जी ले ||

लख चौरासी भटक भटक कर मानुष काया पायी
ऐसा फंसा जगत में आकर ,सुध बुध सब बिसराई ,
अभी भी समय संभल बाँवरे ,बंधन कर ले ढीले ||१||

रितमय है नाम श्याम का ,सारे दोष मिटा दे ,
अंधकार को दूर भगाए ,हिवडे में ज्योत जलाये ,
अंतर्मुख हो बैठ चैन से ,नैंना कर ले गीले ||२||

सांचा है दरबार श्याम का ,श्याम प्रभु है रसीले ||

 ''जय श्री राधे कृष्णा ''


 
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