
होरी खेल रहे नंदलाल , सखियन संग कुँज गलिनमें।
हा हा कर टोली आई,कान्हा को हिये लपटाई।
मुख अधरन रस कीन्हो लाल ||1||
वे नन्दमहर को ढोटा ,ते बरसाने लाडिली गोरी।
बरखा रसिकनी भीजी रसाल ||2||
झांझ ढप बजत सारंगी,केसर केसू फूलन रंगी।
गोपीन बजावें दे करतल ताल ||3||
अबकी बेर न छुड़िहों,कसर सगरे दिनाकी कढीहों।
सबनको बाप है तू दीसे बाल ||4||
हो हो होरी को रसिया,नटवर सगरेन मन बसिया।
'स्यामदास'बिहारी भरे भुजमाल ||5||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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