
गोविन्द मेरी यही प्रार्थना है,
भूलू ना मै नाम कभी तुम्हारा
निष्काम हो कर मै दिन रात गाऊं,
गोविन्द दामोदर माधवेति
हे कृष्ण, हे यादव, है सखेति |
देहान्त् काले तुम सामने हो ,
बंसी बजाते, मन को लुभाते.
गाता यही मै तन नाथ त्यागूं ||1||
नारी धरा धाम सुपुत्र प्यारे,
सन्मित्र सदबांधव द्रव्य सारे.
कोई ना साथी हरी को पुकारो ||2||
प्यारे जरा तो मन मे विचारों,
क्या साथ लाये क्या ले चलोगे.
जावें हरी नाम सदा पुकारो ||3||
नाता भला क्या जग से हमारा,
आये यहां क्यूँ कर क्या रहे हो.
सोचो विचारों हरी को पुकारो ||4||
सच्चे सखा है हरी ही हमारे,
माता-पिता सुबन्धु प्यारे.
भूलों ना भाई दिन रात गाओं ||5||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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