
मनमोहन सांवरियाँ, तुम दरश दिखा जाना,
दोऊँ नैना तरस रहे, इक बार तो आ जाना |
क्या भूल हुई हमसे, जो दिल ही तोड़ दिया ,
क्यों प्रीत करी हमसे, मझधार में छोड़ दिया,
क्या रीति यही तेरी, इतना तो बता जाना ||1||
तेरी याद में मेरे प्रभुजी,मन व्याकुल होता है,
दिन में ये सिसकता है, रातों को ये रोता है ,
क्यों जान नहीं जाती, मेरे प्रभु आ जाना ||2||
यमुना के किनारे, आ तोहे सखियाँ बुलाती है,
घर बार नहीं भाता, आवाज लगाती है ,
बंसी को बजा मोहन, इक तान सुना जाना ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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