
मैं तो आई वृन्दावन धाम किशोरी तेरे चरनन में।
किशोरी तेरे चरनन में, श्री राधे तेरे चरनन में॥
ब्रिज वृन्दावन की महारानी, मुक्ति भी यहाँ भरती पानी।
तेरे चरन पड़े चारो धाम, किशोरी तेरे चरनन में॥1||
करो कृपा की कोर श्री राधे, दीन जनन की ओर श्री राधे।
मेरी विनती है आठो याम, किशोरी तेरे चरनन में॥2||
बांके ठाकुर की ठकुरानी, वृन्दावन जिन की रजधानी।
तेरे चरण दबवात श्याम, किशोरी तेरे चरनन में॥3||
मुझे बनो लो अपनी दासी, चाहत नित ही महल खवासी।
मुझे और ना जग से काम, किशोरी तेरे चरण में ॥4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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