
मैं गिरधर के घर जाऊँ।
गिरधर म्हांरो सांचो प्रीतम देखत रूप लुभाऊँ |
रैण पड़ै तबही उठ जाऊँ भोर भये उठि आऊँ ,
रैन दिना वाके संग खेलूं ज्यूं त्यूं ताहि रिझाऊँ ||1||
जो पहिरावै सोई पहिरूं जो दे सोई खाऊँ ,
मेरी उण की प्रीति पुराणी उण बिन पल न रहाऊँ ||2||
जहाँ बैठावें तितही बैठूं बेचै तो बिक जाऊँ ,
मीरा के प्रभु गिरधर नागर बार बार बलि जाऊँ ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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