
धुन- अफ़साना लिख रही हूँ
जयकारा श्याम धणी का , अब घर घर गूँजता
तुम मानो या ना मानो , है जग सारा पूजता || टेर ||
श्री श्याम को कलयुग का , ' अवतार कहते हैं '-2
ये सबकी रक्षा करता , ये घर घर में घूमता || १ ||
है कृष्ण कला अवतारी , ' खाटू में धाम बना '-2
जो कोई वहाँ पे जाता , नित फलता फूलता || २ ||
जिस घर में साँवरे की , ' नित ज्योत जलती है '-2
उस घर का हर एक प्राणी , खुशियों में झूमता || ३ ||
मेरे श्याम की नगरी में , ' नित मेले लगते हैं ' -2
जो श्याम लगन में डूबा , उसे कुछ ना सूझता || ४ ||
श्री श्याम की शक्ति को , ' दुनियाँ ने माना है '-2
इनकी भक्ति में खोकर , " रवि " दुनियाँ भूलता || ५ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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