
धुन - मन क्यों बहका रे बहका आधी रात को
कैसी बंशी बजाई तूने सांवरे
बैरन निंदिया चुराई हुए , बावरे ||
बहका बहका , सा रहता हूँ , होश नहीं है ठिकाने
तेरी बंशी , में बसते हैं , लाखों ही पैमाने
सीधे पड़ते नहीं है मेरे पाँव रे || १ ||
मीठी मीठी , टिस उठे है , दिल में ओ परवाने
जाने कैसा , जादू कीन्हा , दास लागे भरमाने
कैसा दिल पे लगाया तूने घाव रे || २ ||
मनवा रहता , खोया खोया , नैन हुए दीवाने
तेरी मुरली , मस्त बनाये , हमको ओ मस्ताने
" हर्ष " घाले ठिठोरी सारा गाँव रे || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
0 Comments: