
धुन - बार बार तोहे क्या
राधा बोली सुनो श्याम मैं , बंशी बजाऊँ आज
बंशी की धुन पे कान्हाँ , तुम्हे मैं नचाऊँ आज || टेर ||
साँवरिया तुम बंशी रोज बजाते हो
बजाके बंशी मुझको रोज नचाते हो
इस रिवाज को चलो श्याम मैं ,
नया बनाऊँ आज...हाँ कान्हाँ नया बनाऊँ आज || १ ||
चलो श्याम हम नई रास में रंग जायें
सारी दुनियाँ देख अचम्भित रह जाये
मन करता है अलबेला ,
इतिहास रचाऊँ आज...मैं इतिहास रचाऊँ आज || २ ||
इतना कह कर राधा बंशी बजा उठी
कहे " रवि " वो साँवरिया को नचा उठी
बंशी बोली राधा तुमपे ,
वारी जाऊँ आज...हे राधे वारी जाऊँ आज || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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