बिकते सदा हो सांवरे भगतों के प्यार में,

बिकते सदा हो सांवरे भगतों के प्यार में,



बिकते सदा हो सांवरे भगतों के प्यार में,
 खाते हो सूखी रोटीआं दीनो के द्वार पे ।

जीता तुझे सुदामा ने तंदुल की आड़ में,
बदले में तूने दे दिया, छप्पर ही फाड़ के ।

बैठी थी शबरी राम जी, तेरे इंतज़ार में,
जूठे ही बेर खा लिए भीलनी के प्यार में ।

रूठी जो बेटी जाट की तुझको पुकार के,
खीचड़ तू उसका खा गया परदे की आड़ में ।

अमृत भरा था हर्ष क्या प्रेमी के साग में,
खाने गया विदुर के घर मेवों को त्याग के ।

जय श्री राधे कृष्ण

श्री कृष्णाय समर्पणम्
Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: