
धुन- ना झटको जुल्फ से पानी
ये जीवन किराये का घर , पड़ेगा छोड़ना इसको
कन्हैया ही खिवैया है , नहीं मन भूलना इसको || टेर ||
यहाँ कुछ दिन का बसेरा है , कोई ना साथ जायेगा
करो सत्कर्म कुछ ऐसा , जो तेरे काम आयेगा
अगर उस पार जाना है , नाव तूँ सौंप दे इसको || १ ||
तुम छोड़ो बात गैरों की , तुझे अपने रुलायेंगे
तुझे जब जग सतायेगा , प्रभु ही काम आयेंगे
रहो जिस हाल में भी तुम , रखो बस याद तुम इसको || २ ||
ये साँचा देव कलयुग में , सहारा हारे को देता
अगर दिल में सजा लोगे , तो भाव से पार कर देता
कहे " सुरेश " सुन प्यारे , बनाले यार बस इसको || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
0 Comments: