
लगाया जो रंग भक्ति का उसे छूटने न देना ,
गुरु तेरी याद का दामन कभी छूटने न देना |
हर सांस मेँ तुम और तुम्हारा नाम रहे
प्रीति की यह डोरी कभी टूटने न देना ||1||
बढ़ते रहे कदम सदा तेरे ही इशारे पर,
गुरुदेव तेरी कृपा का सहारा छूटने न देना ||2||
सच्चे बने और तरक्की करे हम
नसीबा हमारा अब रूठने न देना ||3||
देती हे धोखा भुलाती हे दुनिया
भक्ति को अब हमसे लूटने न देना ||4||
प्रेम का यह रंग हमेँ रहे सदा याद
दूर हो हम तुमसे यह कभी घटने न देना ||5||
बडी मुश्किल से भर कर रखी हे करुणा तुंहारी
बड़ी मुश्किल से थामकर रखी है श्रद्धा भक्ति तुंहारी
कृपा का यह पात्र कभी फूटने न देना ||6||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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