
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ
आयो शरण तिहारी प्रभु तार तार तू |
भक्तो को शिव तूने कभी निराश न किया
माँगा जिन्हें जो चाहा वरदान दे दिया
बडा है तेरा दायजा बड़ा दातार तू ||1||
बखान क्या करुँ मैं राखों के ढेर का
चपटी भभूत मेँ है खजाना कुबेर का
गंगधार मुक्तिद्वार ओमकार तू ||2||
क्या क्या नहीँ दिया हम क्या प्रमाण दे
बस गये हैं त्रिलोक शंभु तेरे दान से
जहर पिया जीवन दिया कितना उदार तू ||3||
तेरी कृपा बिने न हिले एक भी अणू
लेते है श्वास तेरी दया से तनू तनू
कहे दाद एक बार मुझको निहार तू || 4 ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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