
धुन- रहा गर्दिशों में हरदम
अब तो मुझे सम्हालो , दुनियाँ बसाने वाले
आये हैं तेरे द्वारे , डमरू बजाने वाले ||
जैसा भी हूँ भगवन , आखिर तो हूँ तुम्हारा
संकट पड़ा जो मुझ पे , हर बार मैं पुकारा
फिर से पुकारता हूँ , बिगड़ी बनाने वाले || १ ||
मैं छोड़ जग की आशा , आया तुम्हारे द्वारे
हाथों में नाव तेरे , नैया लगा किनारे
अरदास ये हमारी , भस्मी रमाने वाले || २ ||
छोड़ो मेरी खता को , बालक हूँ नाथ तेरा
त्यागोगे नाथ तुम ही , फिर कौन होगा मेरा
" शंम्भु " पुकारता है , आ जाओ भोले भाले || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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