
आवत मेरी गलियनमें हे गोपाल
आवत जावत बंसी बजावत
गलियनमें हे गोपाल ||1||
हाथ बंसरीया कांधे कमलिया,
बंसी बजावे गोपाल ||2||
श्याम मुरारी गिरीवरधारी ,
माता यशोदा के बाल ||3||
भवभय भंजन वो है प्रभुजी ,
भक्तनके प्रतिपाल ||4||
" सुरदास " बहु मंगल गावे ,
दर्शन से भयो मैं निहाल ||5||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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