सुनेरि मैंने निरबल के बलराम।पिछली साख भरुं सन्तन की,        अड़े

 सुनेरि मैंने निरबल के बलराम।पिछली साख भरुं सन्तन की,        अड़े



 सुनेरि मैंने निरबल के बलराम।




पिछली साख भरुं सन्तन की,
        अड़े संवारे काम ||1||



जब लगि गज बल अपनो बरत्यो,
        नेक सरयो नहिं काम||2||



निरबल हैव् बलराम पुकारयो,
        आये आधे नाम ||3||



द्रुपद सुता निरबल भइ ता दिन,
        तजि आये निज धाम||4||



दुस्सासन की भुजा थकित भईं,
        वसन रूप भये श्याम ||5||



अप-बल तप-बल और बाहु-बल,
        चौथो है बल-दाम||6||



'सुर किशोर'-कृपा ते सब बल,
        हारे को हरिनाम ||7||

जय श्री राधे कृष्ण
 श्री कृष्णाय समर्पणम्

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