सांसों की डोरी क्या पता, किस वक्त टूट जाए,भजन हरि

सांसों की डोरी क्या पता, किस वक्त टूट जाए,भजन हरि



सांसों की डोरी क्या पता, किस वक्त टूट जाए,
भजन हरि को कर ले प्राणी, अवसर न चूक जाए।




दीन दयाल करी प्रभु कृपा, दुर्लभ अवसर पाया,
भूला क्यों उपकार हरि का, क्यों न ध्यान लगाया,
बिन हरि भजन भव के बन्धन,से कोई छूट न पाए||1||



काम, क्रोध, मद लोभ पगले, दुश्मन जन्म-जन्म के,
त्याग इन्हें कर ले तू प्यारे, प्रीति हरि भजन से,
जाग कहीं रे पुण्य की पूंजी, अब ये लूट न पाए||2||



तीन लोक नव खण्ड में तेरो, सतगुरु सच्चा साथी,
बन्धन तोड़ मिलाए हरि से, शरण पड़ो रे ता की,
गुरू ज्ञान दीप से अज्ञान अंधेरे,के सब भूत भगाए||3||



जय श्री राधे कृष्ण

 श्री कृष्णाय समर्पणम्



Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: