
तन मन तेरा जब अर्पण होगा
उस दिन प्रभु जी का दर्शन होगा |
जहाँ भी तू अपनी नजरों को उठाएगा
भोली भाली सूरत में वही मुस्कराएगा
साफ आँखों का दर्पण होगा ||1||
उसकी ही रजा है तुझको जो कुछ भी मिला है
सुखों में रखा है या दुखों में रखा है
अपना न कोई साधन होगा ||2||
बोझ तेरे सर पर है जो मान अपमान का
आत्म गिलानी और धन के अभिमान का
जब इससे तू निर्धन होगा ||3||
आत्मा से माया की परत हट जाएगी
प्रेमी तेरी उस दिन चौरासी कट जाएगी
दूर तेरा सब बंधन होगा ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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