ऐरी मैं खड़ी निहारू बाट|चितवन चोट कलेजे बिंध गई, सुंदर स्याम

ऐरी मैं खड़ी निहारू बाट|चितवन चोट कलेजे बिंध गई, सुंदर स्याम










ऐरी मैं खड़ी निहारू बाट|




चितवन चोट कलेजे बिंध गई, 

सुंदर स्याम सू घाट||1||




मथुरा में कुब्जा कर राखी,

 म्हाजन की सी हाट||2||




केसर चंदन लेपन कीन्हो, 

मोहन तिलक ललाट||3||




हमरा पिलंग जडाऊ छोड्या, 

रेसम पीली पाट||4||




क्यां पर राजी भयो सांवरो, 

चेरी के नहिं खाट||5||




अजहु न आयो कुवर नन्द को, 

क्यारी लागी चाट||6||




छाडि़ गयो मझधार सांवरो, 

बिना अकल को जाट||7||




आप बिना गोपिन सब ब्रज की,

 व्याकुल भई निराट||8||




मीरा के प्रभु दरसन दीजो,

 करज्यो आनन्द ठाट ||9||

जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्



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