
ऐरी मैं खड़ी निहारू बाट|चितवन चोट कलेजे बिंध गई, सुंदर स्याम
published on 07 अक्टूबर
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ऐरी मैं खड़ी निहारू बाट|
चितवन चोट कलेजे बिंध गई,
सुंदर स्याम सू घाट||1||
मथुरा में कुब्जा कर राखी,
म्हाजन की सी हाट||2||
केसर चंदन लेपन कीन्हो,
मोहन तिलक ललाट||3||
हमरा पिलंग जडाऊ छोड्या,
रेसम पीली पाट||4||
क्यां पर राजी भयो सांवरो,
चेरी के नहिं खाट||5||
अजहु न आयो कुवर नन्द को,
क्यारी लागी चाट||6||
छाडि़ गयो मझधार सांवरो,
बिना अकल को जाट||7||
आप बिना गोपिन सब ब्रज की,
व्याकुल भई निराट||8||
मीरा के प्रभु दरसन दीजो,
करज्यो आनन्द ठाट ||9||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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