
हम बल अभिमानी "श्री जू" के,
हमें क्या लेना है जमाने से,
जब अपना ताल्लुक बना हुआ है
इतने बड़े घराने से।।
अरे, ऐसे पावन चरण लली के,
जिन्हे ध्यावे "श्याम" जमाने से,
आकर देखो तो सही,करुणा रस कितना बरस रहा है
मेरी "श्यामा" के बरसाने से।।1||
वृषभानु लली पर बलिहारी,
रीझे खुद श्याम रिझाने से,
मन आनंदित हो जाता है
तेरी जय जयकार बुलाने से||2||
जहां शरद शेष को कौन गिने,
गुण गावत चारों वेद की वाणी,
चन्द्र से भानु के द्वारे पर जाकर,
द्वार खड़े नित शंभू भवानी||3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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