मैया कबहुं बढ़ैगी चोटी।किती बेर मोहि दूध पियत ,भइ यह

मैया कबहुं बढ़ैगी चोटी।किती बेर मोहि दूध पियत ,भइ यह








मैया कबहुं बढ़ैगी चोटी।


किती बेर मोहि दूध पियत ,
भइ यह अजहूं है छोटी॥


तू जो कहति बल की बेनी,
 ज्यों ह्वै है लांबी मोटी।


काढ़त गुहत न्हवावत जैहै,
 नागिन-सी भुई लोटी॥


काचो दूध पियावति पचि पचि ,
देति न माखन रोटी।


सूरदास त्रिभुवन मनमोहन,
 हरि हलधर की जोटी॥

जय श्री राधे कृष्ण

       श्री कृष्णाय समर्पणम्



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