कन्हैया तुम्हारी झलक चाहते हैजो झपके न ऐसी पलक चाहते

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कन्हैया तुम्हारी झलक चाहते है
जो झपके न ऐसी पलक चाहते है


तुम्हारे खयालो में बीते ये जीवन
तुम्हारे ही चरणो में होए मगन हम
तुम्हे देखने की ललक चाहते है ||1`||




नहीं रौशनी चाँद सूरज की चाहते
नहीं चांदनी की माला ही बाटे
तुम्हारे मुकुट की चमक चाहते है ||2||


थकू न कभी श्याम गुण तेरे गाते
ये संसार के गीत अब न सुहाते
नुपुर की बस अब झनक चाहते है ||3||


सब कुछ है तेरा तुम प्रियतम मेरे हो
बेबस से फिर काहे ऐसे अलग हो
मिटे न कभी वो तलब चाहते है ||4|| 










जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

   

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