
मोहे भावे बिहारी जी को नाम
चलो री सखी दर्शन को |
वां की सुन्दर मूरत भावे
चितवन चित्त में जाये समावे
मैं तो जाय के पडूँगी वाके पाँव ll1ll
फूलो की माला पहनाऊँ
ठाकुर जी को भोग लगाऊँ
मेरे बन जाये बिगड़े काम ll2ll
यमुना बह रही तारन करनी
पावन परम् सुमंगल करनी
जाकी पूजा से होवे सब काम ll3ll
घर घर मन्दिर है वृन्दावन
दर्शन करेंगे नंगे पांवन
मन्दिर में मिलेंगे श्यामा श्याम ll4ll
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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