
आली, सांवरे की दृष्टि मानो,
प्रेम की कटारी है।।टेक।।
लागत बेहाल भई, तनकी सुध बुध गई,
तन मन सब व्यापो प्रेम, मानो मतवारी है ||1||
सखियां मिल दोय चारी, बावरी सी भई न्यारी,
हौं तो वाको नीके जानौं, कुंजको बिहारी ||2||
चंदको चकोर चाहे, दीपक पतंग दाहै,
जल बिना मीन जैसे, तैसे प्रीत प्यारी है ||3||
बिनती करूं हे स्याम, लागूं मैं तुम्हारे पांव,
मीरा प्रभु ऐसी जानो, दासी तुम्हारी है ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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