
बेल बन बागन में सुमन बसंती खिले ,
पवन बसंती ये त्रिबिध सुखदाई है।
बसन बसंती धार धार अंग अंगन में,
केसर बसंती ख़ैर भालन सजाई है ||1||
लाल बलबीर प्यारी प्रीतम के संग सबैं,
गावत बसंती राग मोद सरसाई है||2||
देख छबि जाईं भई व्रज में अवाई बड़े ,
भागन ते प्यारी ये बसन्त रितु आई है ||3||
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जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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