
अब आई बसन्त बहार ,
सखीरी कुन्जन में।
फूल रही अमुआ की डारी।
कोयल कूक रही मतवारी।
भ्रमर करें गुन्जार, सखीरी कुन्जन में||1||
लिपटत लता तमालन हेली ।
है कै मगन करें अठखेली।
झूमझूम कें प्यार, सखीरी कुन्जन में||2||
पावन परम विपिन वृन्दावन।
चल सखी मिलें तहाँ मनभावन।
प्यारे नंदकुमार सखीरी कुन्जन में||3||
सरसों 'सरस' रही अति प्यारी।
सुनि राधे वृषभानु दुलारी।
जीवन प्राण आधार, सखीरी कुन्जन में ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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