चरण में रखना, शरण में रखना।हरदम तेरी ही लगन में

चरण में रखना, शरण में रखना।हरदम तेरी ही लगन में






चरण में रखना, शरण में रखना।
हरदम तेरी ही लगन में रखना।




सुख के उजाले हों, दु:ख के अँधेरे।
जो भी हो हरदम, मगन में रखना||1||




साँसों की माला, सिमरण के मोती।
मन नहीं भटके, जपन में रखना||2||




पलकें जो मूंदूँ, तेरे हों दर्शन।
हरदम इसी, तड़पन में रखना||3||




शून्य गगन में, दृष्टि न डोलै।
धारों को ऐसे, मिलन में रखना||4||




गुरु तू पुकारे, नित धुर घर से।
तार न छूटे, भजन में रखना ||5||




सुनिए विनय गुरु, दीन हृदय की ।
"दास" को अपनी, शरण में रखना||6||


जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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