श्री राधारमणो जयति  तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे,       

श्री राधारमणो जयति  तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे,       








श्री राधारमणो जयति

  
तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे,
              नागर नंद कुमार।


मुरली तेरी मन हर्यो,
            बिसर्यो घर-व्यौहार।।

जब तें सवननि धुनि परि,
            घर आँगन न सुहाई।


पारधि ज्यूँ चूकै नहीं,
            मृगी बेधी दइ आइ ||1||




पानी पीर न जानई ज्यों
            मीन तड़फि मरि जाइ।


रसिक मधुप के मरम को 
            नहिं समुझत कमल सुभाइ||2||




दीपक को जो दया नहिं,
            उड़ि-उड़ि मरत पतंग।


'मीरा' प्रभु गिरिधर मिले,
            जैसे पाणी मिलि गयो रंग||3||




जै श्री राधे कृष्ण

🌺
श्री कृष्णायसमर्पणं

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: