बंसी के बस स्याम भये री,कहा उनहिं अब परी हमारी,
बंसी के बस स्याम भये री,
कहा उनहिं अब परी हमारी, ताही के अब चरन गहे री |
कर-पल्लव पै सयन करत सो, अधर-सुधा पी हिये दहै री|
कबहुँ न ताहि करहिं हरि न्यारी, वाहाके वे रंग रये री॥1॥
वाके बल ही धेनु चरावहिं, खग-मृग सब ही स्वबस किये री|
बालवृन्द सब सुनहिं चावसों, हमकों तो वे विसरि गये री॥2॥
स्वकुल जराय जरावत हमकों, सब विधि याने सूल बये री|
कहा करें, कित धरें चोरि यह, पियहिं फोरि बहुदुःख दिये री॥3॥
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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