गोपी प्रेम की धुजा जिन गोपाल कियों अपने बस , उर धरि
गोपी प्रेम की धुजा
जिन गोपाल कियों अपने बस ,
उर धरि स्याम भुजा ll1ll
सुक मुनि व्यास प्रशंसा कीन्हीं ,
उधौ संत सराही
भूरि भाग गोकुल की वनिता ,
अति पुनीत भुव माहीं ll2ll
कहा भयौ विप्रकुल जन्मै ,
जो हरी सेवा नाहीं
सोई कुलिन दास परमानंद ,
जो हरि सन्मुख जाहीं ll3ll
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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