तर्ज़- मुझे तेरी मोहब्बत का, सहारा मिल गया होता
तर्ज़- मुझे तेरी मोहब्बत का, सहारा मिल गया होता
सँवारूँ मैं, तुम्हे जितना, सँवरिया तुम, सँवरते हो
न मैं थकता, न तुम थकते, भगत का मान, रखते हो |
मेरा मन झूम उठता है, तेरा श्रींगार कर करके
'निहारे जा, रहा तुमको'-2, ये छब नज़रों, में भर भरके
मेरी खातिर, सँवरिया तुम, सँवरते और, निखरते हो ||1||
तुम्हारा रूप साँवरिया, बड़ा जादू चलाता है
'मुझे मदहोश, कर देता'-2, दीवाना ये, बनाता है
मेरे प्रियतम, मेरे साथी, ये जादू क्यूँ, यूँ करते हो ||2||
सजाने में, मज़ा आता, तुम्हे सजने, में जो आता
'न राधा मैं न, मीरा मैं-2' मगर फिर भी, तू सज जाता
'रवि' कहता, मुझे लगता, मुझे तुम प्यार, करते हो ||3||
रविन्द्र केजरीवाल 'रवि'
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्_
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