छीन लिया मेरा भोला सा मन, राधारमण मेरो राधारमण.......गोकुल का ग्वाला

छीन लिया मेरा भोला सा मन, राधारमण मेरो राधारमण.......गोकुल का ग्वाला






छीन लिया मेरा भोला सा मन, 
राधारमण मेरो राधारमण.......






गोकुल का ग्वाला वो ब्रज का बसैया, 
सखियों का मोहन और माँ का कन्हैया.
भक्तों का जीवन और निर्धन का धन।।1||




यमुना के जल में वही श्याम खेले, 
लहरों में उछले और करत किलोलें, 
बिछुङन कभी और कभी हो मिलन।।2||




जाकर के देखा वो मंदिर के अंदर, 
घट-घट के अंदर वही श्याम सुंदर, 
कुण्डल हलन और तिरछी चलन।।3||






जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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