समझा ले री अपने कान्हा को,मेरी चढ़ गयो रात अटरिया
समझा ले री अपने कान्हा को,
मेरी चढ़ गयो रात अटरिया पे
मेरा सगरो माखन खाये गयो,
कुछ फेंक गयो वो तो ऐसा उधम मचाये गयो
मेरी आ गई मोच कमरिया में ||1||
मेरी आगे आगे ड़ोले री ,
मोसे भाभी कहके बोले री मैरा हँस हँस घुघंटा खोले री,
मेरी आ गई मोच उगंलियां में ||2||
ना मानें तेरा छोरा री,
वो तो ऐसा ढीठ निगोड़ा री, मेरे मारे ईंट का रोड़ा री ,
मेरी कर गयो छेद गगरिया में ||3||
यमुना पे मोहन आवे री,
चीर चुरा ले जावे री कदम्बों पे मुझे बुलावे री
मेरा लेवे नाम बाँसुरिया पे ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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