आवो री ये शोभा निहारेंनन्दनन्दन वृषभानु नंदिनीझूल रहे गल बईयाँ
आवो री ये शोभा निहारें
नन्दनन्दन वृषभानु नंदिनी
झूल रहे गल बईयाँ डारें।
आवो री ये शोभा निहारें।।
पड़त फुहार विपिन हरियाली
वन पक्षी मृदु वचन उचारें।
आवो री ये शोभा निहारें।।
निर्मल जल के भरें सरोवर
फूले कमल भँवर गुंजारे।
आवो री ये शोभा निहारें।।
पवन झंकोर उड़त प्रिया को पट्
झट प्रियतम निज हाथ संवारें।
आवो री ये शोभा निहारें।।
"नारायण" इनकी या छवि पर
आज सखी हम सर्वस्व वारें।
आवो री ये शोभा निहारें।।
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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