आयो सावन अधिक सुहावना बनमें बोलन लागे मोर।उमड़ घुमड़ कर कारी

आयो सावन अधिक सुहावना बनमें बोलन लागे मोर।उमड़ घुमड़ कर कारी








आयो सावन अधिक सुहावना 
बनमें बोलन लागे मोर।




उमड़ घुमड़ कर कारी बदरियाँ 
बरस रही चहुँ और।
अमुवाँ की डारी,बोले कोयलिया,
करे पपीहरा शोर।




चम्पा जूही बेला चमेली 
गमक रही चहुँ ओर।
निर्मल नीर बहत यमुना को 
शीतल पवन झकोर




वृंदावन में खेल करत है 
राधे नंद किशोर।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर 
गोपियन को चितचोर।


जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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