मोहे श्याम रंगो गिरधारी।ना मोहे सुर्ख, ना कदली पातर, ना कोई

मोहे श्याम रंगो गिरधारी।ना मोहे सुर्ख, ना कदली पातर, ना कोई








मोहे श्याम रंगो गिरधारी।


ना मोहे सुर्ख, ना कदली पातर,
 ना कोई रंग फुलवारी||1||


ना पीताम्बर, ना श्वेताम्बर,  
ना कोई और असुरारी ||2||


ना नीलाम्बर, ना नारंगी, 
मोहे श्यामल कर बनवारी||3||


अपने ही रंग में रंग लो मोहन, 
अंतिम चाह हमारी||4||


जा दिन सों मोहे श्याम लगो, 
मेरी सुध बुध गई बिसारी||5||


कारी काम्बरी, कारो कान्हा, 
मेरो कारो चक्कर धारी ||6||


कंत को अंत कहा कहिये,
  मैं तो कारे की बलिहारी||7||





जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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